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लेखनी प्रतियोगिता -13-Jul-2023

मिटा हुआ सिंदूर 
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सुहाग सिंदूर मिट गया, 
पर भूख पेट की मिट न सकी। 
उतरा मुख बच्चों का मेरे,
मैं बैठी रोती ना देख सकी। 
दीन हीन सी बैठूँ कब तक!
कोई न आया दुख में काम। 
खुद ही चली मैं बोझ उठाने,
अपने आँसू खुद ही पौंछती, 
लेकर प्रभु राम का नाम। 
रचनाकार -शोभा शर्मा , छतरपुर म. प्र.

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4 Comments

Reena yadav

14-Jul-2023 12:14 PM

👍👍

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सुन्दर सृजन

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Gunjan Kamal

14-Jul-2023 12:58 AM

👌👏

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